व्यंग्य
टोपी और सद्भावना
वीरेन्द्र जैन
नरेन्द्र मोदी ने अपने सद्भावना उपवास में
टोपी न पहिन कर अपनी सद्भावना की रक्षा कर ली। ठीक किया। ये भी कोई बात हुयी कि
नौटंकी की स्क्रिप्ट हमारी और डायलाग आप अपने डालने लगें। ये तो मौलाना थे, कल के
दिन कोई दिगम्बर जैन मुनि आ जाता और अपने अनुसार आग्रह करने लगता तो क्या होता। वैसे
भी दुनिया भरके मीडिया और जाँच आयोगों ने कौनसी कसर छोड़ रखी है। छह करोड़ गुजरातियों के गर्वीले मुख्यमंत्री
जैसी चाहें सद्भावना बनायें और जैसी चाहें बिगाड़ें उनकी मर्जी। उनका हर काम
प्रतिनिधित्व में होता है, पिछले दिनों उन्हें दस्त लग गये थे तब उन्होंने एक
पत्रकार से फोन पर बात करते हुए बताया था कि छह करोड़ गुजरातियों को दस्त लग रहे
हैं।
वैसे भी सद्भावना का कोई तयशुदा मौसम या
त्योहार तो होता नहीं है इसलिए भाजपा के मुख्यमंत्री को ही तय करना होता है कि अपने
प्रदेश में कब सद्भावना बिगाड़ना है और कब बनाना है। वे कोई कांग्रेस के
मुख्यमन्त्री तो हैं नहीं कि ईद के दिन जालीदार गोल टोपी पहिनकर गले मिल लिये और
हो गयी सद्भावना, बाकी समय संघ और सिमि पर छोड़ दिया कि जितनी बिगड़ना हो सो बिगाड़
लो। इतना ही नहीं कैसे बनाना है और कैसे बिगाड़ना है यह भी मुख्यमंत्री के ही
विभागों में आता है। पिछले दिनों गलती हो गयी थी सद्भावना बनाने बिगाड़ने का काम
दूसरे मंत्रियों पर छोड़ दिया था सो एक जेल में है और दूसरे को तड़ीपार रहने के आदेश
हुए हैं। कानून के लम्बे हाथों से बचने के तरीके सब को तो नहीं आते।
उन्होंने सद्भावना के लिए उपवास करना तय किया
जबकि बिगाड़ने के लिए क्रिया की प्रतिक्रिया तय की थी। अब ये बात दूसरी है कि
क्रिया किसी ने की हो और प्रतिक्रिया किसी पर की जा रही हो। जब एक मुख्यमंत्री
क्रिया की अन्धी प्रतिक्रिया करा रहा हो तो वह अपनी सरकार की नाकामी तो पहले ही से
मानकर चल रहा होगा, बरना प्रतिक्रिया के लिए तो पुलिस और न्याय विभाग बनाये ही गये
हैं। क्रिया प्रतिक्रिया के लिए किसी धर्म के सभी अनुयायियों को एक मान लेते हैं
पर संसाधनों के बंटवारे के लिए सब अलग अलग हैं। खीर मैं सौंझ, महेरी में न्यारे।
ये भी नहीं कहते कि सारे मुसलमानों की सम्पत्ति को भी एक कर दें और सारे हिन्दुओं
की सम्पत्तियों को एक कर दें जिससे लोग कम से कम अपनी मौलिक जरूरतें पूरी कर सकें।
पूरे गुजरात की सद्भावना बनाना है तो छह करोड़ गर्वीले गुजरातियों की सम्पत्ति को
ही एक कर दें। पर यह वे सोचते भी नहीं।
वैसे 2002 के समय जब सद्भावना बिगाड़ी गयी थी तो जो लोग मारे गये थे वे भी गर्वीले गुजराती ही थे और जो पुलिस उनकी रक्षा करने की जगह जब हाथ पर धरे बैठने को मजबूर कर दी गयी थी, वह भी गर्वीले गुजरात की ही थी। जो लोग मार रहे थे वे भी गुजराती ही थे और जो मर रहे थे वे भी गुजराती ही थे। गली गली में गीता का पाठ गूँज रहा था। सब में एक ही आत्मा का बास है। वैसे गोधरा घटना के कुछ ही घंटों बाद देश के तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने इसमें पाकिस्तान का हाथ बता दिया था जिससे उम्मीद बँधती थी कि प्रतिक्रिया पाकिस्तान के खिलाफ होगी पर हुयी गर्वीले गुजरातियों के एक हिस्से पर। पता नहीं उनका पाकिस्तान कहाँ पर है। मोदीजी किस गुजरात की अस्मिता पर किससे खतरा महसूस करते हैं। वे कहने लगते हैं कि वे केन्द्र सरकार को टैक्स देना बन्द कर देंगे, जैसे गुजरात देश से बाहर हो। उन्हीं की तर्ज पर बिगड़े मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अपना स्वर्णिम मध्य प्रदेश अलग बना कर उसका अलग से मध्य प्रदेश गान बनवा लेते हैं। अपने पार्टी हित में देश को छोटे छोटे राज्यों में तोड़े जाने की हिमायती यही पार्टी राष्ट्रभक्ति का लबादा ओढे फिरती है। छोटे राज्यों में सामान्य तौर पर बहुमत क्षीण होता है जिससे कुछ ही विधायक खरीदने पर सरकार बनाने का मौका मिल जाता है। एक बार सरकार बनाने का मौका मिल जाये तो मधु कौड़ा बनते देर नहीं लगती, सब वसूल हो जाता है।
वैसे 2002 के समय जब सद्भावना बिगाड़ी गयी थी तो जो लोग मारे गये थे वे भी गर्वीले गुजराती ही थे और जो पुलिस उनकी रक्षा करने की जगह जब हाथ पर धरे बैठने को मजबूर कर दी गयी थी, वह भी गर्वीले गुजरात की ही थी। जो लोग मार रहे थे वे भी गुजराती ही थे और जो मर रहे थे वे भी गुजराती ही थे। गली गली में गीता का पाठ गूँज रहा था। सब में एक ही आत्मा का बास है। वैसे गोधरा घटना के कुछ ही घंटों बाद देश के तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने इसमें पाकिस्तान का हाथ बता दिया था जिससे उम्मीद बँधती थी कि प्रतिक्रिया पाकिस्तान के खिलाफ होगी पर हुयी गर्वीले गुजरातियों के एक हिस्से पर। पता नहीं उनका पाकिस्तान कहाँ पर है। मोदीजी किस गुजरात की अस्मिता पर किससे खतरा महसूस करते हैं। वे कहने लगते हैं कि वे केन्द्र सरकार को टैक्स देना बन्द कर देंगे, जैसे गुजरात देश से बाहर हो। उन्हीं की तर्ज पर बिगड़े मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अपना स्वर्णिम मध्य प्रदेश अलग बना कर उसका अलग से मध्य प्रदेश गान बनवा लेते हैं। अपने पार्टी हित में देश को छोटे छोटे राज्यों में तोड़े जाने की हिमायती यही पार्टी राष्ट्रभक्ति का लबादा ओढे फिरती है। छोटे राज्यों में सामान्य तौर पर बहुमत क्षीण होता है जिससे कुछ ही विधायक खरीदने पर सरकार बनाने का मौका मिल जाता है। एक बार सरकार बनाने का मौका मिल जाये तो मधु कौड़ा बनते देर नहीं लगती, सब वसूल हो जाता है।
नरेन्द्र भाई दामोदरदास मोदीजी ने सद्भावना
के लिए उपवास करने का तब सोचा जब सद्भावना के सामने कोई बड़ा खतरा नहीं था। गान्धी
जयंती के दिन एक तथाकथित गान्धीवादी नेता गान्धी की मूर्ति के नीचे मगरमच्छी आंसू
बहाते हुए कह रहे थे, बापू आप क्यों चले गये, हम अनाथ हो गये हैं.............
वगैरह वगैरह। बापू को उनके आंसू देख कर दया आ गयी और वे मूर्ति में से प्रकट हो कर
बोले बेटे मैं आ गया हूं। गान्धी को देख कर नेता सकते में आ गया और उसने जेब से
पिस्तौल निकाल कर पूरी छह गोलियां गान्धी के सीने में उतार दीं।
मोदी की सद्भावना भी ऐसी ही आभासी थी। टोपी
पहिनाने वाले को गलतफहमी हो गयी थी सो मोदी ने सुधार दी। भोले भाले लोग जीवन और
अभिनय में फर्क ही नहीं समझते।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन
रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल
[म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं