शुक्रवार, सितंबर 10, 2010
व्यंग्य- मनमोहिनी राष्ट्रीय पर्व
व्यंग्य
मनमोहिनी राष्ट्रीय पर्व
वीरेन्द्र जैन
शेक्सपियर ने कहा था- आई डू नाट फालो इंगलिश, इंगलिश फालोस मी अर्थात मैं अंग्रेजी का अनुशरण नहीं करता अंग्रेजी मेरा अनुशरण करती है।
हिन्दी के साहित्यकार समझते हों या न समझते हों किंतु हमारे देश के नेता भाषा को ऐसी ही चेरी समझते हैं। आदरणीय अडवाणी जी डीसीएम टोयटा को रथ कहते हैं, तो संघ परिवार स्कूलों को मन्दिर का नाम देती है- सरस्वती शिशु मन्दिर- तय है कि मन्दिरों में कोई मस्जिद वाला तो जायेगा नहीं सो अपने आप ही बँटवारा हो गया। अब हमारे [कांग्रेस]जन प्रिय प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह जी भी कम थोड़े ही हैं सो वे कामन वैल्थ गेम्स को राष्ट्रीय पर्व कहते हैं तो क्या गलत कहते हैं, आखिरकार हैं तो वर्ल्ड बैंक के पूर्व कर्मचारी।
हमारे यहाँ तो छोटे से छोटा मजदूर भी पर्व त्योहार जरूर मनाता है भले ही उधार लेकर मनाये। वह और दिन पेट काट लेगा पर कहेगा- वा साब तेहार तो मनाना ही पड़ता है। छोटे आदमी का छोटा त्योहार सौ पचास रुपये में निबट जाता है पर वर्ल्ड बैंक वाले मनमोहनजी का राष्ट्रीय पर्व तो एक लाख करोड़ में ही मन पायेगा। आप ठीक से पढ रहे हैं न एक......लाख.....करोड़..। आशिक का जनाजा है जरा धूम से निकले। कंजूस चीन ने बीस हजार करोड़ में ओलम्पिक करा लिये थे पर हमारे यहाँ एक लाख करोड़ में कामन वैल्थ गेम्स हो रहे हैं जो उन देशों का समूह है जो कभी अंग्रेजों के गुलाम थे। यह ऐसा ही है जैसे कभी जेल में साथ रहे कैदी अपना सम्मेलन करें। ब्रिट्रेन ने भी बहुत उदारता दिखाते हुये अपने ओलम्पिक 72000 करोड़ में निबटा लिये थे जिनमें 11000 खिलाड़ियों ने भाग लिया था जबकि हमारे कामन वैल्थ गेम्स में तो कुल 72 देश और दो हजार खिलाड़ी ही भाग ले रहे हैं।
जब इसके मेडल बाँटे जायेंगे तो हमें खेल में भले ही मेडल न मिलें पर खेल की तैय्यारियों में किये गये भ्रष्टाचार के लिए जरूर ही सबसे ज्यादा मेडल मिलेंगें। कैसे कैसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं हमारे कर्ता धर्ता कि एक एक आदमी तीन तीन नामों से लूट रहा था। पहलवान तो डोपिंग टेस्ट में फँस गये अब कौन कहाँ कहाँ फँसा है यह बाद में पता लगायेंगे। एक खेल होना चाहिए कामन वैल्थ तैयारी गेम जिसमें दिल्ली से पशु भगाओ प्रतियोगिता हो, भिखारी भगाओ प्रतियोगिता हो, झुग्गी बस्ती उजाड़ो प्रतियोगिता हो। इससे बिल्डरों को बहुत सुविधा होगी। उजड़ी झुग्गी दुबारा तो बनने नहीं देंगे। रहमान को इसका संगीत रचने के लिए छह करोड़ दिये गये हैं तो मोदी के बाइब्रेंट गुजरात के ब्रांड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन और समाजवादी पूर्व सांसद जया बच्चन की बहू ऐश्वर्या राय को प्रमोशन के लिए कई कई करोड़ दिये जायेंगे। राम नाम की लूट है लूट सके सो लूट अंत काल पछतायेगा जब पोस्ट जायेगी छूट। दनादन कंडोम ढाले जा रहे हैं, दुनिया भर से आने वाली काल गर्लों के लिए पलक पाँवड़े बिछाये जा रहे हैं, आखिर विदेशी मेहमान जो आने हैं। यह अलग बात है कि हम जनता को सड़ता हुआ गेंहूं भी मुफ्त नहीं दे सकते, पीने को साफ पानी नहीं दे सकते, निरक्षरों को साक्षर नहीं बना सकते सफाई स्वास्थ आदि की बातें तो जाने ही दीजिए। यह भीष्म साहनी की कहानी चीफ की दावत की तरह हो रहा है जिसमें चीफ के स्वागत के लिए पूरे घर और घर वालों को सजाया संवारा जाता है पर बूढी माँ को घर की एक कोठरी में बन्द कर दिया जाता है, आखिर चीफ को कुछ भी असुन्दर नहीं दिखना चाहिए।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629
लेबल:
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