सोमवार, मई 30, 2011

व्यंग्य - बहिनजी, दीदी और अम्मा आदि के रिश्ते


व्यंग्य
बहिनजी और दीदी और अम्मा आदि के रिश्ते
वीरेन्द्र जैन
अगर उत्तर प्रदेश और बंगाल के बीच अंतर पहचानना हो तो एक अंतर तो सीधा सीधा यह समझ में आता है कि उत्तर प्रदेश में बहिनजी का शासन है और बंगाल में दीदी आ गयी हैं। वैसे हिन्दी का कोई प्रकांड विद्वान कह सकता है कि दोनों में क्या अन्त्तर है दोनों ही पर्यायवाची हैं, किंतु एकमत न होने के लिए विवश दूसरे विद्वान कह सकते हैं किसी एक शब्द के होते हुए जब दूसरा शब्द जन्म लेता है तो वह किसी न किसी भिन्नता के कारण ही जन्म लेता है। बहिनजी शब्द से पुरातन पंथ की गन्ध आती है तो दीदी शब्द कुछ कुछ आधुनिक सा हो जाता है।
मायावती दीदी नहीं हुयीं और ममताजी बहिनजी नहीं हो सकतीं। बहिनजी केवल मुँह की जबर हैं किंतु दीदी ने कभी जयप्रकाश नारायण की कार के ऊपर कूद कर अपने लिए बंगाल की शेरनी का खिताब हासिल किया था ये बात अलग है कि बाद में इसी के भ्रम में वे खट्टे अंगूर वाली बिल्ली की तरह उछल कूद करती रहीं।
बहिनजी ने खुद के नाम पर करोड़ों की जायजाद खड़ी कर ली है किंतु दीदी ने जायजाद खड़ी करने वालों को ही चुनाव में खड़ा किया। बहिनजी टिकिट देने से पहले ही उम्मीदवार से धन निचोड़ लेती हैं, पर दीदी उनका धन उन्हीं के पास रहने देती हैं ताकि सनद रहे वक़्त जरूरत पर काम आये। वे इसे गान्धीजी के ट्रस्टीशिप वाले सिद्धांत का अनुशरण भी कह सकती हैं। बंगाल में जहाँ पहले कुल दो प्रतिशत करोड़पति विधायक थे पर गरीब दीदी के राज्य में सोलह प्रतिशत करोड़पति विधायक हो गये और एकाध अपवाद को छोड़कर सब के सब उन्हीं के मोर्चे के हैं।
बहिनजी हाथी पर सवार रहती हैं तो दीदी तृणमूल नाम रखकर फूल और पत्तियां दिखाती हैं जिनमें न तृण होता है और न मूल अर्थात जड़।
अमूल बेबी, तृणमूल बेबी का सहारा तलाशते हैं किंतु हाथी वाली बहिनजी के साथ दो दो हाथ करने को उतावले नजर आते हैं। भले ही भट्टा पारसौल में अपनी विश्वसनीयता का भट्टा बैठा लेते हैं।
दीदी ने अपने मंत्रिमण्डल को ऐसा साधा है कि उनके वित्तमंत्री हैं फिक्की के पूर्व् अध्यक्ष और जाने माने पूंजीवादी अर्थशास्त्री अमित मित्रा और श्रममंत्री हैं पूर्व नक्सलवादी पूर्णेन्द्र घोष। बुन्देली में एक कहावत है- दोई पलरियन दै दओ तेल, तुम नाचो हम देखें खेल, अर्थात तराजू के दोनों ही पलड़ों पर क्रमशः तेल दे दिया जिससे वे नाचते रहें और हम नाच देखते रहें। पर बहिनजी किसी स्वतंत्र अस्तित्व रखने वाले को मंत्री नहीं बनातीं।
बहिनजी, बहिनजी रहेंगीं, और दीदी, दीदी। ये बात अलग है दोनों की पूंजी ही नफरत की पूंजी हो। वैसे पूंजी तो अम्मा के पास भी नफरत की ही है जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला बड़ा खुलासा यह किया कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गान्धी की हत्या में डीएमके का हाथ था। उम्मीद करना चाहिए कि जल्दी ही कोई दिन ऐसा भी आयेगा जब करुणानिधि के फेमिली डाक्टर को जगह जगह नहीं भटकना पड़ेगा एक ही जेल में पूरी फेमिली की जाँच कर लिया करेगा। अब पता नहीं अम्मा बहिनजी का चुनाव चिन्ह [हाथी] दान करने के लिए कौन से मन्दिर में कब जाने वाली हैं, जैसे कि पिछली बार गयी थीं, जैसे उमा भारती तिरुपति के मन्दिर में मुण्डन कराने के लिए गयी थीं भले ही इसके बाद भी पूरे समय मुख्य मंत्री नहीं रह पायीं। वैसे अम्मा ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में नफरत के अवतार नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित करके अपनी लाइन का सन्देश तो दे ही दिया है। भाजपा के ये स्टार प्रचारक यों तो असम में भाजपा की सरकार बनवाने गये थे किंतु सीटें आधी करवा दीं।
बहिनजियो दीदियो अम्मा के लिए दुआ करो, जो अपनी जनता को अपने महल की बालकनी से ही दर्शन देती हैं। रिश्तों के बारे में मुनव्वर राना का एक शेर है-
अमीरे शहर को रिश्ते में कोई कुछ नहीं लगता
गरीबी चाँद को भी अपना मामा मान लेती है
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

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