मंगलवार, सितंबर 11, 2012

व्यंग्य- प्राइम मिनिस्टर मटेरियल


व्यंग्य
प्राइम मिनिस्टर मटेरियल

वीरेन्द्र जैन

       भौतिकवाद बहुत बढ गया है। कोई आत्मा परमात्मा की बात ही नहीं करता। ढूंढने वालों ने भगवान का तत्व भी खोज लिया पर उसे भी ‘गाड पार्टिकल’ का नाम दिया। पार्टिकल, मटेरियल, सब इसी में दुनिया रंगती जा रही है। अब देखिए मोदी ने नीतिश को पीएम मटेरियल बता दिया। अरे वो गुजरात वाले मोदी नहीं, बिहार वाले मोदी जो नीतीश के ही असिस्टेंट हैं और गुजरात के मोदी के मारे अपनी नौकरी खतरे में मान कर चलते हैं, लोग कहते हैं कि जितने काले, सभी बाप के साले। पर वे सोचते हैं कि करे दाढीवाला पकड़ा जाए मूँछ वाला।
यह पुराने पीएम मटेरियल लाल कृष्ण अडवाणी जी को खुश करने का तरीका भी हो सकता है कि नितिश को तो बनना नहीं पर यह संदेश तो चला ही जाये कि बिहार का मोदी गुजरात कि मोदी को प्रधानमंत्री मटएरियल नहीं समझता। वैसे वे भीतर भीतर ये भी सोचते हैं कि अगर ये नितिश पीएम के चक्कर में उलझ जाये और  कार्यकारी मुख्यमंत्री हम हो जायें तो सारा बिहार आरएसएस वालों के नाम कर दें। अभी तो हाल यह है कि शरद यादव से लेकर जेडी[यू] का लल्लू-पंजू भी गरिया कर चला जाता है पर ऊपर से आदेश है कि कि सत्ता का दामन नहीं छोड़ना है सो गाली भी खा रहे हैं और नीचे भी पड़े हैं।
 भाजपा के स्वाभाविक मित्र बाल ठाकरे ने बिहारियों को मुम्बई से निकालने का जो हड़कम्प मचाया तो नीतिश ने उनकी मानसिक स्थिति पर टिप्पणी कर दी। इस पर ठाकरे ने सवाल पूछ लिया कि फिर वे गुजरात के मोदी को बिहार क्यों नहीं आने देते। नितिश ने कहा कि तुम तो आने की बात कर रहे हो हमने तो उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया हुआ है। नरेन्द्र हुये या सुशील मोदी मोदी सब बराबर। संकेत बाल ठाकरे ने भी दे दिया कि वे अब अडवाणी को एनडीए का पीएम मटेरियल नहीं मानते, सो उन्होंने और ऊंची खेल दी। उन्होंने सुषमा स्वराज जी को सबसे अच्छा पीएम मटेरियल बता दिया। उनका एक गुण और भी है जो दूसरे किसी पीएम मटेरियल में नहीं हो सकता। वे राजनीति और प्रशासन में भले ही कम जानती हों पर सोनिया गान्धी के पीएम मटेरियल बनने की सम्भावनाओं पर सिर घुटा कर जमीन पर सोकर और चने खाकर जीने की धमकी दे सकती हैं या अन्ना हजारे के जेल जाने के विरोध में राजघाट पर ठुमका लगा सकती हैं। ऐसा करना क्या लालकृष्ण अडवाणीजी या नरेन्द्र मोदीजी के वश में है। पता नहीं अब नरेन्द्र मोदी का क्या होगा जिन्होंने दस बीस दर्ज़न आधी बाँह के कुर्तों का आर्डर पहले ही से दे दिया था कि प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी बनते समय काम में आयेंगे। जिन टाटा ने ममता दीदी की कृपा से अपना नैनो का कारखाना बंगाल से उठाकर गुजरात में ला पटका था तो उस समय मोदी को पीएम का सुपात्र घोषित कर दिया था वे अब क्या सोचते हैं यह पता तो तब लगेगा जब नीरा राडिया के नये टेप प्रकाश में आयें। उमाभारती ने तो अडवाणीजी को पिता तुल्य घोषित कर देने के बाद भी पीएम मटेरियल के रूप में बाबा रामदेव को सुपात्र माना था और उन्हें प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित देखना चाहती थीं। 
       इस बरसात में खूब पानी बरसा तो जगह जगह बाढ आ गयी, दूसरी तरफ बाढ में पीएम मटेरियल भी बह बह कर खूब आ रहा है। बाढ आती है तो कचरा आता ही आता है इसमें अस्वाभाविक कुछ भी नहीं है। भाजपा प्रवक्ता ने सही कहा है कि उनकी पार्टी में तो पीएम मटेरियल भरे पड़े हैं। अकेले अडवाणीजी, सुषमाजी, मोदीजी, अरुण जैटलीजी थोड़े ही हैं जो उन्होंने नहीं कहा वह यह था कि ‘पहले बहुमत तो मिले’। जो पहले साथ में थे वे- बिछड़े सभी बारी बारी......... । तेलगु देशम तो पहले भी सरकार में साथ नहीं था, बीजू जनता दल भी नफरत से थूक कर चला गया, शिवसेना तो जब जी में आता है लतिया देता है, अकाली दल ने खुद बढ कर इनकी सीटें और वोट दोनों घटवा दिये तथा उसके द्वारा हत्यारों को ज़िन्दा शहीद घोषित किये जाने पर इन्हें मुर्दे जैसे बैठे रहना पड़ता है। यूपी में इनकी छीछालेदर इतनी हो चुकी है कि उमा भारती को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बाद भी जब सीटें पहले से घट गयीं और उन्हें विधानसभा में पार्टी का नेता भी नहीं बनाया तो वे शपथ ग्रहण करने के बाद एक दिन भी विधानसभा नहीं गयीं, बस चोरी छुपे मध्य प्रदेश में ‘धार्मिक’ काम करती रहती हैं। अमर सिंह भी गुम सिंह हो गये हैं जो देर रात्रि में अरुण जैटली के घर से बाहर निकलते देखे जाते थे और सपा के लिए सौदा कर आते थे। वे सक्रिय होते तो कुछ नये पीएम मटेरियल सामने लाते जैसे राष्ट्रपति पद के लिए उन्होंने झंडू बाम और नवरत्न तेल बेचने वाले का नाम सुझाया था। एक ओर जब ऐसा राष्ट्रपति 26 जनवरी की परेड की सलामी ले रहा होता तब देश के तीन सौ चैनल उसके सहारे एक रुपये में परमानन्दा करा रहे होते।
       इस बाढ को देखकर अगर मौसम के अनुकूल टिप्पणी किसी की आयी है तो वो शरद यादव की है कि पीएम का पद तो पकौड़ी हो गया है। अखबार लेकर रामभरोसे आया था और  कह रहा था पकौड़ी खिलवाओ, मैं समझ नहीं पाया कि उसे पकौड़ी खाना है या पीएम मटेरियल बनना है।     
वीरेन्द्र जैन
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