व्यंग्य
चोर चोर का शोर
वीरेन्द्र जैन
पूरे
देश में आजकल चोर चोर का खेल मचा हुआ है। लोकतांत्रिक टंगड़ी मार प्रतियोगिता के
अंतर्गत टूर्नामेंट चल रहा है। तू चोर, तेरा बाप चोर, तेरा खानदान चोर, तेरी जाति
चोर, ये..., ऊ...., हट, भग, चल, से शुरू होकर गालियों के शहस्त्रनाम तक का मार्ग
प्रशस्त हो रहा है।
दरअसल
चोरी से किसी को गुरेज नहीं है पर बदनाम दूसरे को करना चाहते हैं ताकि सरकार बनाने
का मौका हथिया सकें। सफाई कोई नहीं दे रहा, दे भी नहीं सकता , पर आरोप सब लगा रहे
हैं। स्वीकारने के तरीके भी अलग अलग हैं। उनके समर्थक कहते हैं कि हमारा नेता छोटा
चोर, तेरा नेता बड़ा चोर। जिसकी समझ में आ जाता है कि अब बच नहीं सकते तो वह कहने
लगता है कि यार छोड़ो सभी चोर हैं, और इस तरह वह जो चोर नहीं हैं उनके उभरने का
रास्ता भी धुन्धलाने लगता है। जिसकी सरकार केन्द्र में है वह केन्द्र में चोरी कर
रहा है और जिसकी सरकार राज्य में है वह राज्य में चोरी कर रहा है। जो राज्य में
विपक्ष में है वह सत्तारूढ को चोर कह रहा है और जो केन्द्र में विपक्ष में है वह
केन्द्र सरकार को चोर कह रही है। एक ऐसे नवजात हैं जिनका नाम करण संस्कार भी नहीं
हुआ है वे दोनों को ही चोर कह रहे हैं, तो दोनों ही मिल कर उनको और उनके लग्गे
भग्गों को चोर ठहरा रहे हैं। जनता का ठलुआ क्लब कह रहा है कि ये सब चुनाव तक ही
चोर चोर चिल्ला रहे हैं चुनाव के बाद सब चुपचाप हो जायेंगे। जैसे चुनाव के समय
सोनिया गान्धी विदेशी महिला और ईसाई हो जाती हैं तथा अडवाणी एंड कम्पनी साम्प्रदायिक
हो जाती है पर चुनाव के बाद प्यार मुहब्बत चलती रहती है। गडकरी को ज़मीन अजीत पवार
देते हैं।
वे
साफ साफ कहते हैं कि अगर चोरी नहीं करेंगे तो काहे को अपना काम धन्धा, खेती बाड़ी
छोड़ कर फलाँ भैया ज़िन्दाबाद, ढिकाँ भैया को जन्मदिन के शुभकामनाएं देते फिरेंगे? उल्लू
हैं क्या? कहीं ठीकठाक जगह पर अपने दाँत गड़ाने के लिए अवसर की तलाश में हैं, कोई
लाइसेंस मिल जाये, ठेका मिल जाये, सप्लाई मिल जाये, एजेंसी मिल जाये, ज़मीन मिल
जाये, बंगला मिल जाये, निगम मण्डल में जुगाड़ जम जाये, एनजीओ मिल जाये, नौकरी
दिलाने या ट्रांसफर कराने की दलाली मिल जाये, राशन की दुकान मिल जाये, कुछ तो हो,
नहीं तो क्या फालतू में चप्पलें चटकाते फिरें। बताओ तो आजकल कौन फ्री में कुछ करता
है, साले वोटर तक तो पहले फी वोट पाँच सौ का नोट एडवांस में धरा लेते हैं तब वोट
देने जाते हैं तो हम कार्यकर्ता क्या ऐसे ही अपनी पेंट और पेंट के अन्दर का ढाँचा
घिसते रहें। आजकल इस जनता की माँगों का दिखावा करने के लिए रैली और धरना प्रदर्शन
करते हैं, उसमें जनता तो आती नहीं, सौ सौ रुपये और लंच की पेकेट देकर तो रैली के
लिए कल्लू पहलवान से जनता खरीदनी पड़ती है, मीडिया वालों को लिफाफे देना पड़ते हैं,
तब जाकर राष्ट्रीय विपक्ष की लाज बचती है। बताओ चोरी न करें तो रैली का कोटा कैसे
पूरा करें। अरे किसी फोटोग्राफर को ही भूल जायें तो वो रैली की असली तस्वीरें दिखा
देता है और आप उम्मीदें पाले रहते हो कि चोरी न करें। अब बाँटने के बाद कुछ घर पर
भी रख लेते हैं तो उसमें क्या गलत है, आखिर हमारे भी बाल बच्चे हैं। हम कोई
कम्युनिष्ट तो हैं नहीं कि पगलाए फिर रहे हैं और जमानतें जब्त करा रहे हैं, अपुन
तो देसी हैं भैया। ये नास्तिक कुछ भी करें पर हमारे भगवान ने तो अपने युग में माखन
चोरी करके हमें सन्देश दे दिया है कि अपने अपने युग में जो चोरी हो सकती है सो
करो।
हम
तो राष्ट्रीय एकता वाले लोग हैं सो मिल के खाते हैं, हमारे यहाँ कोई अफसर भूखा
नहीं रहता, जिसके यहाँ छापा पड़ता है तो करोड़ों से कम किसी के पास नहीं निकलता, पुलिस,
फौज़, न्यायाधीश, सबसे मिल कर खाते खिलाते हैं क्योंकि सच्चे समाजवादी तो हमीं हैं।
सच्चा समाजवाद तो यही है कि सबको बराबर का अवसर मिले और जिसकी जैसी क्षमता हो वह
वैसा अवसर का उपयोग करे। जिन्हें कमाने खाने की तमीज नहीं है तो उनके लिए क्या कर
सकते हैं, नालायक लोग हैं, जाने कैसे भर्ती हो गये। ये तो लोकतंत्र है साब, जनता
तो योग्य लोगों के साथ है, जो कमाना जानता है उसी को वोट देती है। जिसे चोर चोर
कहते फिरते हैं वही जीत जाता है या किसी और बड़े चोर से हारकर भी लाखों वोट ले जाता
है। बड़ा बदनाम किया था मायावती दीदी को पर उत्तर प्रदेश में पिछले चुनावों से सेंतीस
लाख वोट ज्यादा ले गयीं और सीबीआई में चल रहे प्रकरणों के बाद भी मुलायम सिंह ने
अपने खानदान की सरकार बनवा ली।
वो
तो भैया चोर चोर कहने का फैशन है सो हम भी कह रहे हैं, बरना बहती गंगा के मैल में
हाथ धोकर हाथों का कुछ मैल हम भी कमा लेते हैं, सो सदा सरकारी पार्टी में रहते
हैं, आप भी कहाँ पड़े हो हमारे साथ आ जाओ तो तर जाओगे, बाकी आपकी मर्जी,
हरिश्चन्दों को बेटे का कफन भी बेचना पड़ता है। जय श्री राम।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
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