बुधवार, अगस्त 11, 2010

व्यंग्य - प्रेरणा की प्रेरणा

व्यंग्य
प्रेरणा की प्रेरणा
वीरेन्द्र जैन
वो तो अच्छा है कि लोग बाग आज के सत्तारूढ़ नेताओं की सलाहों पर ध्यान नही देते हैं बरना बेचारे बारहों महीने प्रेरणा लेते लेते परेशान हो जाते। सुबह से चाहे टीवी ख़ोलो या अखबार पढ़ो, उसमें कोई राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या जम्बो जैट मंत्रिमण्डल के दीगर मंत्री कहीं न कहीं कहते मिल जायेंगे कि देश की जनता को फलां फलां के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए। इन नेताओं की बात मानकर यदि कोई नागरिक प्रेरणा लेना शुरू कर दे तो बेचारा सब्जी लेने कब जायेगा। छत्तीस करोड़ देवता और दीगर महापुरूषों के इस देश में पॉच वक्त की नमाज की तरह पॉच वक्त प्रेरणा लेना भी शुरू कर दे तब भी प्रेरणा देने वाले कम नही पड़ेंगे पर आदमी के पास समय कम पड़ जायेगा।
सुबह सुबह प्रेरणा लेने के लिए निकले आदमी को देखकर चबूतरे पर स्थायी स्तंभ की तरह जमें बूढे आादमी- औरतें टोके बिना थोडे ही मानेंगे और पूछ ही लेंगे
- काय भईया सबेरें सबेरें कितै चले ?
- कउं नईं बाई, आज राणा प्रताप जयंती है सौ सोची कि नैक उनके जीवन से प्रेरणा लै आयें।
- हऔ भईया ऐन लैं आओ, नैकाद हमाये लानें भी लेत अईयों।
कस्बे में यह सबसे बुरी बीमारी पायी जाती है कि मुहल्ले के लोग टोके बिना नहीं मानते। । आप अकेले कुछ नही कर सकते मिलने जुलने वाले आपकी हर चीज में शमिल होना चाहते हैं। यदि आप उनसे यह भी कह दें कि हम तो प्रेम करने जा रहें हैं तो वे उसमें भी जोड़ देंगे कि थोड़ा हमारी ओर से भी कर लेना। शहरों में ऐसा नही है। एक तो आपका पड़ोसी भी आपको ठीक से नहीं पहचानता और पहचानता भी हो तथा उससे आप कहें कि मैं तो मरने जा रहा हूँ तो वो कहेगा - औ क़े बैस्ट ऑफ लक- और स्कूटर स्टार्ट करके फुर्र से उड़ जायेगा।
नेता सुबह गांधी के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह देता है तो शाम को सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह देता है। गणेश शंकर विद्यार्थी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी दोनो से ही प्रेरणा लेने की सलाह एक साथ दी जा सकती है। गांधी के ठीक सामने सावरकर का चित्र लटकवाया जा सकता है और दोनों से ही एक साथ प्रेरणा लेने की प्रेरणा दी जा सकती है। सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में महापुरूषों की जयन्तियों व पुण्यतिथियों के दिन इसीलिए तो छट्टी रखी जाती है कि कर्मचारी और विद्यार्थी जिन्हें आम तौर पर कम समय मिलता है वे महापुरूषों से प्रेरणा ले सकें। यदि सरकार छुट्टियों में कटौती करेगी तो महापुरूषों से प्रेरणा लेने वालों की संख्या में कमी आयेगी। प्रेरणा के उचित आदान प्रदान के लिए छुट्टी बहुत अनिवार्य होती है। लोग सोचने लगते हैं कि ऐसे आदमी से क्या प्रेरणा लेना जो अपने जन्म दिन पर छुट्टी भी घोषित नही करवा सकता। जिस दिन छुट्टी होती है उस दिन आदमी भरपूर नींद लेता है, भारी नाश्ता लेता है और फिर तीसरी चाय लेकर प्रेरणा लेने निकल पड़ता है । बाहर गुप्ता जी पौधों में पानी दे रहे होते है वह पूछता है - चल रहे हो गुप्ता जी ?
' कहॉ ? गुप्ता जी पूछते हैं।
'वही, प्रेरणा लेने, और कहॉ!'
'अब, अरे हम तो सबेरे से ही ले आये- दूध लेने गये थे सो सोचा प्रेरणा भी लेते चलें फिर, बाद में कौन आयेगा। ग्यारह बजे ठेकेदार से अपना हिस्सा लेने जाना है। तुम्हें बहुत लगती है और तुम्हारे पास टैम है सो लेते रहो प्रेरणा। हम तो थोड़ी सी प्रेरणा में ही काम चला लेते हैं।
जिस समय यह कहावत बनी थी कि - पंडित, वैध्य मशालची, इनकी उल्टी रीत, औरन गैल बताय कैं, आपहु नाकें भीत - उस समय तक नेता नामक प्राणी ने अवतार नहीं लिया होगा, वरना उसका भी नाम इसमें जुड़ा होता। नेता प्रतिदिन कहता रहता है कि इससे प्रेरणा लो, उससे प्रेरणा लो, पर खुद कभी प्रेरणा नही लेता । वो अगर प्रेरणा लेने लगे तो फिर रिशवत कौन लेगा, संविधान की झूठी शपथ कौन लेगा, डालरों में चन्दा कौन लेगा, इसलिए प्रेरणा लेने का काम जनता पर छोड़ दिया है कि लेते रहो प्रेरणा। .....वाह सुनील बाबू बढ़िया है।
प्रेरणा लेकर घर लोटे पति के सामने बाल्टी पटक कर पत्नी कहती है- ले आये प्रेरणा- अब हैण्डपम्प से दो बाल्टी पानी ले आओ! नल न आये हुए आज तीसरा दिन है। बिना पानी के प्रेरणा कैसे चाटोगे! उसकी दृष्टि में प्रेरणा लाने की तुलना में पानी लाना ज्यादा जरूरी है। बच्चे पूछते हैं कि हमारी किताबें लाये? मॉ पूछती है कि हमारी दवाई लाये ? इन सब जरूरतों की कमी इस नेता द्वारा दिलाई जा रही प्रेरणा से पूरी नहीं होती है।
कोई ऐसी प्रेरणा नही दिलाता जिससे आदमी के रोटी कपड़ा और मकान की जरूरतें पूरी होने लगें।
-
-- वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र फोन 9425674629

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें