सोमवार, अगस्त 02, 2010

व्यंग्य- उपयोगितानुसार वापिसी

व्यंग्य
उपयोगितानुसार वापिसी
वीरेन्द्र जैन
राम भरोसे आज मूड में था। मेरे पूछने से पहले ही बोल उठा- आज एक मनोरोग चकित्सिक के पास एक स्वस्थ नौजवान आया और मरीजों वाले स्टूल पर बैठ गया। डाक्टर ने बहुत ही नम्रता से पूछा कि किसे दिखाना है तो वह बोला कि खुद को। डाक्टर के यह पूछने पर कि क्या शिकायत है वह बोला
“डाक्साब शिकायत यह है कि मुझे जूते की तुलना में चप्पलें ज्यादा पसन्द हैं।“ डाक्टर ने उसे नीचे से ऊपर तक गौर से देखा तो पाया कि वह बेहद सभ्य और शालीन नजर आ रहा था व उसने करीने से कपड़े पहिन रखे थे, उन्हें उसमें कोई भी असामान्य चीज नहीं दिखाई दी तो वे बोले- इसमें परेशानी की क्या बात है, मुझे भी जूते की तुलना में चप्पलें ज्यादा पसन्द हैं।“
“वो तो ठीक है डाक्साब, पर आप उन्हें भून कर खाना पसन्द करते होंगे और मैं उबाल कर खाना।“ अब डाक्टर कभी उस की तरफ देख रहा था और कभी मेरी तरफ।
इतना कह कर राम भरोसे हो हो हो कह कर हँस दिया। मैंने कहा राम भरोसे ये पुराना लतीफा है
राम भरोसे गम्भीर होते हुये बोला होगा, पर सन्दर्भ नया है।
“कैसे?” मुझे उत्सुकता जगी।
“अरे भाई तुमने एम जी वैद्य का वह बयान नहीं पढा जिसमें उन्होंने कहा है कि जसवंत सिंह की तुलना में उमा भारती ज्यादा उपयोगी थीं, पर उन्हें पुनर्प्रवेश देने की जगह जसवंत सिंह को पुनर्प्रवेश दे दिया गया। बकौल शायर- रहा न दिल में वो बेदर्द, और दर्द रहा
मकीम कौन हुआ है, मकाम किसका था”
“तो इसमें गलत ही क्या है यह उपयोगितावाद का ही युग है- यूज एंड थ्रो। भाजपा में लोगों का महत्व उपयोगिता से ही है न कि उनके त्याग, तपस्या, बलिदान, समर्पण, और सिद्धांतवादिता से। हेमा मालिनी, स्मृति ईरानी, वाणी त्रिपाठी, शत्रुघ्न सिंन्हा, विनोद खन्ना, दारा सिंह, अरविन्द त्रिवेदी, दीपिका चिखलिया, नवजोत सिंह सिद्धू, चेतन चौहान, मनेका गान्धी, वरुण गान्धी, वसुन्धरा राजे, यशोधरा राजे, सब उपयोगी वस्तु की तरह ही आयात किये जाते हैं।
चुनाव जिताने के लिए उपयोगी होने तक धर्मेन्द्र को उम्मीदवार बना दिया, बाद में उन्हें कहना पड़ा कि भाजपा ने मुझे इमोशनली ब्लेकमेल किया। अब जब भाजपा अध्यक्ष खुद ही धर्मेन्द्र के डायलोग बोलने लगे हैं तो धर्मेन्द्र की क्या जरूरत!अब तो कुत्ते का खून पी जाने वाले और भी हैं काके। गोबिन्दाचार्य तो जिन्दगी भर भाजपा के टेंक होने का भ्रम पाले रहे किंतु उपयोगिता घटते ही उन्हें नाली के पानी की तरह बाहर का रास्ता दिखा गया। लम्बे समय तक वे समझते रहे कि वे भाजपा को रास्ता दिखाते हैं किंतु अब स्वयं रोड मैप पूछते नजर आ रहे हैं, कौन से रस्ते से आऊँ, खिड़की से, दरवाजे से, रोशनदान से, या छत से। बता दे कोई कौन गली गये श्याम – रोड मैप का पुराना प्रश्न।“ सर्व श्रेष्ठ सांसद का सम्मान पाने वाले जसवंत सिंह की तुलना में उमा भारती की उपयोगिता सचमुच ही अब ज्यादा होना चाहिए बरना विवादित स्थलों पर मस्जिद गिराने की खुशी में मुरली मनोहर जोशी के कंधों पर कौन सवार होगा! विवादित ईदगाह मैदान पर तिरंगा फहराने के बहाने साम्प्रदायिकता की भूमि कौन तैयार करेगा! किसी लिब्राहन आयोग के आगे गवाही के लिए बुलाये जाने पर कौन सब कुछ भूल जायेगा और कहेगा कि मुझे कुछ भी याद नहीं है कि उस दिन क्या हुआ था!
याद नहीं अब कुछ,
भूल गयी सब कुछ
बस ये ही बात न भूली, जूली........ नहीं नहीं कुर्सी.......।
आज नेताओं के मुँह से जो गालियाँ निकल रही हैं उसकी शुरुआत तो उमा जी बरसों पहले कर चुकी थीं जब उन्होंने अपने विरोधी दल के मुख्यमंत्री से हेलीकाप्टर माँगते हुये अपने सन्देह में घिरे साथी से कहा था कि वे देंगे कैसे नहीं, हेलीकोप्टर क्या उनके बाप का है! चुनावी भाषणों में वे कहती रही हैं कि इस दिग्विजय सिंह को तो सड़क के गड्ढों में पटक पटक कर बिजली का करंट लगाना चाहिए। सच कह रहे हैं वैद्य साब कि उनकी उपयोगिता अब जसवंत सिंह से ज्यादा है, अब जब तक सरकार नहीं है तो कौन सा आतंकवादियों को कन्धार छोड़ने जाना है। अरे अगर भविष्य में सोनिया गान्धी प्रधान मंत्री चुनी जाती हैं, तो सिर मुढा कर, चने खाकर, जमीन में सोने की धमकी क्या जसवंत सिंह देंगे!
उमाजी ही क्यों हमारे वैद्य साब तो संजय जोशी को भी वापिस लेने के लिए उतावले हैं जबकि देश की जनता को यह भी नहीं पता कि उन्हें कब पार्टी से बाहर कर दिया गया था और अगर कर दिया गया था तो मध्य प्रदेश पुलिस से क्लीन चिट प्राप्त इस नेता को किस आरोप में बाहर किया गया था ये तो बता ही देते।
इसलिए भैय्या राम भरोसे ये उनकी समस्या है कि वे जूते से चप्पल को ज्यादा पसन्द करें और भूनने के बजाय उबाल कर खाने को बेहतर समझें। और कहें- मेरी मर्जी।

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