सोमवार, जून 27, 2011

व्यंग्य राहुल गान्धी की नई टीचर



व्यंग्य

राहुल गान्धी की नई टीचर

वीरेन्द्र जैन

राहुल गान्धी को सारे के सारे लोग ही पाठ पढाने लग गये हैं। उमाभारती उनकी नई टीचर बनने की कोशिश कर रही हैं। राहुल के जन्मदिन पर उन्होंने पाठ पढाया कि उन्हें संघ और बढों का सम्मान करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने उन्हें उनके पिता के नाना जवाहरलाल नेहरू का उदाहरण दिया जिन्होंने 1962 में चीन के साथ चल रहे युद्ध के दौरान संघ को दिल्ली का ट्रैफिक सम्हालने की जिम्मेवारी सौंपी थी। यह ऐसा ही है कि घर में आग लगने पर अगर कोई पड़ोसी की छत पर कूद जाये तो बदले में पड़ोसी रोज रोज रात बिरात उसकी छत पर कूदने का अधिकार जमाने लगे। पर वे यह भूल गयीं कि बंगलादेश के स्वतंत्रता अभियान के समय पाकिस्तान के साथ युद्ध में अटल बिहारी वाजपेयी ने श्रीमती इन्दिरा गान्धी को दुर्गा कहा था।

संघ परिवार इतिहास को उतना ही याद रखना चाहता है जितने से उसे राजनीतिक लाभ मिले। मीठा मीठा गप, कढुवा कढुवा थू। उन्हें यह याद नहीं आया कि 1948 में नेहरूजी ने महात्मा गान्धी की हत्या के बाद ही संघ पर प्रतिबन्ध लगा दिया था या राहुल की दादी ने इमरजेंसी के दौरान अटल बिहारी बाजपेयी समेत संघ के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया था जहाँ से वे माफी माँग माँग कर बाहर निकले थे और फिर उसके लिए ऐसे पेंशन माँगने लगे थे, जैसे महात्मा गान्धी रोजगार गारण्टी योजना के अंतर्गत मजदूरी कर के आये हों।

मजे की बात यह भी है कि सम्मान की यह सलाह सुश्री उमा भारती दे रही हैं, जिनके द्वारा 2006 में प्रैस के सामने उन अडवाणीजी का किया गया सम्मान, जिन्हें वे पितातुल्य बताती रही हैं, सबकी स्मृति में है। 2003 में जब उन्हें उनके अनचाहे केन्द्र में मंत्री पद से वंचित कर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने भेज दिया गया था तब उन्होंने अपने बड़े भाई तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ अपने मुखारबिन्द से जो सम्मान सूचक उद्गार व्यक्त किये थे, वे सबकी स्मृति में हैं। उन्होंने कहा था कि दिग्विजय सिंह को सड़क के गड्ढों में पटक पटक कर बिजली का करंट लगाना चाहिए। जब उन्होंने किसी काम के लिए उनसे हैलीकाप्टर माँगा था और किसी ने मिलने पर सन्देह व्यक्त किया था तो उनका कहना था कि हैलीकाप्टर क्या दिग्विजय सिंह के बाप का है, जो नहीं मिलेगा। साध्वी के भेष में रहने वाली उमाजी ने गुड़ खाना रोकने वाले बाबाजी की कहानी नहीं सुनी! कैसे सुनेंगीं क्योंकि उन्हें तो आजकल एक ही बाबा रामदेव नजर आते हैं जिन्हें वे आडवाणीजी के प्रत्याशी होते हुए भी प्रधानमंत्री बनवाने की इच्छा रखती हैं।

उमाजी ने यह सलाह वरुण गान्धी को नहीं दी जो अब उन्हीं की पार्टी के सांसद हैं और जो मुसलमानों के हाथ काटने का आवाहन करते समय उम्र की कोई सीमा तय नहीं करते कि छोटे मुसलमान के साथ क्या करेंगे और बड़े मुसलमान के साथ क्या करेंगे।

मध्य प्रदेश के जिन मुख्यमंत्री पर उन्होंने उनकी हत्या करवाने का आरोप लगाया था, अब उन्हीं के दरवाजे पर ढोक देने के बाद भी उन्हें प्रदेश में प्रवेश न करने की शर्त पर पार्टी में जगह दी गयी, और शर्त यहाँ तक कठोर है कि अपने बीमार भाई को देखने आने के लिए भी उन्हें छुप छुपा कर आना पड़ता है, -मैं तुमसे मिलने आयी,मन्दिर जाने के बहाने - की तरह। वे जिस प्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं, जहाँ उन्होंने हिम्मत हारे नेताओं में आकर अपनी पार्टी की सरकार बनवायी, और उस सरकार को अपना बच्चा बताती रहीं, उसी को अब जशोदा जी पाल रही हैं, उसी प्रदेश में उनका प्रवेश वर्जित है- नो एंट्री। मम्मीजी अपने बच्चे का दुख दर्द भी नहीं पूछ सकतीं, कि हाय पप्पू कैसे हो। मामला कुछ कुछ अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी जैसा हो रहा है। जब उनके अपने प्रदेश में कोई उनसे पाठ पढने की हिम्मत नहीं जुटा सकता तो दूसरे प्रदेश के लोग क्या तैयार होंगे।

मथुरा की गोपियां तो पहले से ही शिक्षा और आचरण के भेद को रेखांकित करती रही हैं और कहती रही हैं कि तुम कौन सी पाटी पढे हो लला, मन लेहु पै देहु छटाक नहीं। अब जब राहुल उमा भारती की पाटी पढ लेंगे तो क्या अपने छोटे भाई वरुण की तरह शाखा में ध्वज प्रणाम करने लगेंगे। दलित परिवार के घर में रात बिताने के बाद सुबह जल्दी उठ कर कहेंगे कि कोई खाकी नेकर पड़ा हो तो दे दो मुझे शाखा में जाना है। वैसे अगर वे ऐसा करने भी लगें तो भी संघ परिवार के लोग कहेंगे कि विदेशी मूल की संतानें नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे नहीं कह सकतीं।

लगता है कि शिक्षा गारण्टी योजना लागू होने के बाद भी कुछ लोगों को अनपढ बने रहना होगा। वैसे भी उमा भारती की क्लास ज्वाइन करने से तो यह बेहतर ही होगा।

वीरेन्द्र जैन

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