मंगलवार, दिसंबर 29, 2009

व्यंग्य एक नेता का मनोबली आत्मालाप्

व्यंग्य
एक नेता का मनोबली आत्मालाप
वीरेन्द्र जैन

ये कोई मिग या मिराज विमान नहीं है कि हमसे बिना पूछे चाहे जब चाहे जितने गिरते जायें। ये राजनेताओं का नैतिक पतन भी नहीं है कि एक बार गिरा तो पहाड़ से गिरे पत्थर की तरह तलहटी तक लुढकता ही गया। ये पुलिस का मनोबल है जिसे हम किसी भी तरह गिरने नहीं दे सकते अगर उसका मनोबल गिर गया तो हमारा क्या होगा- क़ालिया ।
उसके मनोबल के बने रहने पर ही तो हम टिके हुऐ हैं वरना हमारे कामकाज तो ऐसे हैं कि लोग गली गली सौ जूते मार कर एक गिनें और फिर गिनती ही भूल जायें। पुलिस का मनोबल कोई झुमका भी नहीं है कि बरेली के बाजार में गिर भी जाय और जिसका गिरा है वो ठुमुक ठुमुक कर गाने भी गाता रहे । यह हमारे लिए चिन्ता का विषय है। इसलिए, हे! पुलसिया लोगो, हम तुम्हारा मनोबल गिरने नहीं देंगे और लगातार नीचे से हथेली लगाये रहेंगे। तुम घबराना मत, हम साधे हुये है।
हम तो उन सारे थानेदारों से जिनके ट्रांसफरों के लिए हमने ही दलाली की थी, रोज फोन करके पूछते रहते हैं- ' कहो शुक्ला जी कैसे हो ? ''
'' ठीक है, कौन बोल रहे हैं?'' थानेदार कहता है।
'' अरे हमें नहीं पहचाने, हम राम संजीवन त्रिपाठी बोल रहे हैं, गृहमंत्री जी के साले''
'' अरे त्रिपाठी जी दण्डवत प्रणाम, आपकी आवाज आज कैसी आ रही है ''
'' अब उम्र है भईया, फिर दो ढ़ाई पैग भी भीतर पड़े हुऐ है। अच्छा तुम ये बताओं कि कहीं तुम्हारा मनोबल तो नही गिर रहा ''
'' अरे नहीं त्रिपाठी जी पर यहॉ रिश्वत का रेट बहुत गिरा हुआ है, लगता है कि सालभर में ट्रासर्फर में खर्च किये हुऐ पैसे भी नही निकलेंगे'' ।
'' अरे निकलेंगे भई, सब निकलेंगें वो भदौरिया कोई उल्लू तो नहीं था जो इस थाने के पॉच लाख बोल के गया था। वो तो तुम अपने जातभाई हो इसलिए तुम्हें साढे चार में दिलवा दिये। कभी कभी दो चार डकैतियॉ डलवा दिया करो। ये जो दो नम्बर की कमाई वाले लोग हैं इनका वजन हल्का करते रहना है। ये तो पूरी लुटाई की रिपोर्ट भी नहीं लिखवा पाते वरना इनकम टैक्स वाले पूछने लगेगे कि कहॉ से आया ''
'' मुझे तो डर लगता है ''
'' इसका मतलब तुम्हारा मनोबल गिर रहा है। हम ऐसा करते हैं कि एकाध उठे हुये मनोबल वाला असिस्टेंट भिजवाये देते हैं जो थाने में पकड़ कर एकाध की वो मरम्मत करेगा कि साला वहीं टें बोल जाय। इससे तुम्हारा भी मनोबल उठ जायेगा। फिर उसकी महरारू रोती हुई आयेगी सो तुम वही थाने में उसके साथ थोड़ा बहुत बलात्कार कर डालना जिससे तुम्हारा मनोबल तो बल्लियों उछलेगा''।
'' पर त्रिपाठी जी नेतागिरी ?
'' अरे शुक्ला तुम येई पेंच तो नई समझे। वहॉ पै ससुर नेतागिरी करने वाला कोई नहीं है। वो भदौरिया इसी खातिर तो पॉच दे रहा था, वो तो हम तुम्हारी खातिर अपना नुकसान कर लिये। वहॉ ससुरी नेतागिरी वाली दो ही तो पार्टियॉ है सो एक तो तुम हमारे आदमी हो और दूसरी पार्टी वाले हमारे फूफा के समधी होते हैं। बस कभी कभी उनका आदर सत्कार कर दिया करो, मन्दिर बनवाने के लिए चन्दा दे दिया करो और उनके काम के लिए एकाध गुण्डे को छुट्टा छोडे रखों, बस हो गया फिर जो चाहे सो करो। तुम्हारा राज । ''
'' पर अखबार वाले ''
'' भई शुक्ला, चींटियों का मुंह कितना सा, दो चार दाने डाल दो तो अघाये अघाये फिरते हैं। ''
इस तरह हम रोज उनका मनोबल बना कर रखते है जिसका मनोबल गिरा वो पुलिस के काम का नहीं रहा। एक छुकरिया बहुत मानव अधिकार- मानव अधिकार करती थी सी एक दिन हमने एक कानिस्टबल से कह रह उसी का मनोबल गिरवा दिया। अब भूल गई मानव अधिकार। पुलिस के अधिकार के आगे काहे का मानव अधिकार ।
हमारा तो कहना है कि शासन ऐसा हो कि चोर उचक्के, अपराधी, गुण्डे सब डर कर रहें, पर पुलिस से डरकर रहें। अगर वे जनता से डरने लगे तो फिर पुलिस को कौन पूछेगा। पुलिस का काम ही लोगों को डरा कर रखना है इसीलिए तो उनका मनोबल उठा कर रखा जाता है। जिसका मनोबल उठा हुआ हो उससे सब डरते हैं। दूसरी तरफ गिरे हुये मनोबल वाले को सब लतिया कर चलते जाते है। हम विरोधियों को इसीलिए तो धिक्कारते हैं क्योंकि वे जरा जरा सी बात पर पुलिस का मनोबल गिराने लगते हैं। अरे भई पुलिस को डन्डे फटकारते रहना चाहिए अब इसमें रस्ता चलते लोगों को दो चार डन्डे लग जायें तो इसमें रोने धोने की क्या बात है। कहते हैं उन्हें संस्पेंड कर दो। हम ऐसा नही होने देते, इसी से तो उनका मनोबल बना रहता है कि उनके पीछे कोई तो है।
मनोबल वो कलफ है जिससे पुलिस की वर्दी कड़क रहती है। मनोबल वह पालिश है जिससे उनके जूते चमकते रहते हैं। मनोबल वह ब्रासों है जिससे उसकी बैल्ट के बक्कल सोने जैसे दिखते हैं। इसी पुलिस की दम पर तो हम करोड़ों के कमीशन खा रहे हैं सरकारी जमीनें बेच रहे हैं, नकली स्टाम्प बिकवा लेते हैं सरकारी कारखानों को खाने में लगे रहते हैं फिर उसे कोड़ियों के मोल कबाड़ियों को तौल देते है। ऐसी पुलिस का मनोबल हम कैसे गिरने दे सकते हैं। हरगिज नहीं। हम नही गिरने देगे।
पुलिसियो, अपना मनोबल उठाये रखो , हम तुम्हारे साथ है।

वीरेन्द्र जैन
2-1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629

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