लघुकथा[व्यंग्य]
अनुशासित टिकिटार्थी
वीरेन्द्र जैन
देश में अचानक चुनाव आ गये थे। बिना न्यूनतम साझा कार्यक्रम के गठबन्धन बनाने पर चुनाव भी मौत की तरह कभी आ सकते हैं। ताबड़तोड़ चुनावी तैय्यारीं शुरू हो गयीं। हमारे देश में चुनाव आने पर सबसे पहले अपने ही दल के लोगों से टकराना पड़ता है क्योंकि अपना टिकिट पाने के लिए दूसरे का कटवाना ज़रूरी होता है। सबसे पहले दूसरे टिकिट चाहने वालों के दबे छुपे सारे अवगुण उज़ागर करने होते हैं और अपने गुण बताने होते हैं।
एक राष्ट्रवादी, हिन्दुत्ववादी, दल के ऐसे ही एक प्रत्याशी ने अपने दल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष जो एक प्रसिद्ध नृत्यांगना और फिल्म अभिनेत्री हैं, को अपना बायोडेटा भेजते समय विशेष उल्लेख में लिखा-
बैंक खाता - बैंक ओफ राजस्थान
पानी - हमेशा केंट का
पत्रिका - मेरी सहेली
नहाने का साबुन - पियर्स सोप
पसन्दीदा फिल्में - शोले, चरस, सीता और गीता, जुगुनू, बर्निंग ट्रेन, त्रिशूल ,जोशीला, लाल पत्थर, बाग़वान, वीर ज़ारा आदि अतिरिक्त
पसन्दीदा टीवी शो - लाफ्टर चैलेंज[सिद्धू वाला]
शराब - डिप्लोमट /बैग पाइपर्[शत्रुघ्न सिन्हा निर्देशित]
कपड़े धोने का साबुन - निरमा[दीपिका चिखलिया वाला]
आवेदक ने बैंक आफ राजस्थान की पास बुक की फोटोकापी, साबुनों के रेपर, पत्रिका का कवर पेज, सिनेमा के फटे हुये टिकिट और वाटर फिल्टर की रशीद संलग्न की। अब वह टिकिट की प्रतीक्षा में रामायण पाठ में लगा हुआ है। उसे भरोसा है कि टिकिट मिल ही जायेगा।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629
हा.....हा......हा.....बहुत बढ़िया व्यंग..."
जवाब देंहटाएंjain sahab namaskar .............apki rachnayen achi lagi .......badhai.....
जवाब देंहटाएंअच्छा कटाक्ष किया है .......
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