व्यंग्य
चुनाव की तैयारी
वीरेन्द्र जैन
यह खेल कूद का मैदान नहीं था, नेताजी की कोठी थी जहाँ लोग बल्लियों उछल रहे थे।
वैसे तो यह कभी खेलकूद का मैदान ही रहा था, फिर उस पर नेताजी ने कब्जा कर लिया था और अपनी कोठी तान ली थी।
यहाँ पर ये लोग ऊॅंचीकूद का अभ्यास नहीं कर रहे थे पर उनके बल्लियों उछलने के का कारण था कि नेताजी की विजय हुयी थी।
विजय चुनाव में नहीं हुयी थी क्योंकि चुनाव तो अभी दूर थे पर उनकी विजय टिकिट के मैदान में हुयी थी। बड़े बड़े काले पीले पैसे वाले बड़े बड़े अपराधी पालने वाले, बड़े-बड़े बड़े नेताओं को खुश रखने वाले टक्कर में थे पर नेताजी में इन सारे गुणों का संतुलन था इसलिए टिकिट पा गये थे। उल्लास का वातावरण पर्यावरण खराब कर रहा था। बसंत नहीं था पर हवाओं में महुआ महक रहा था।
अपनी ही पार्टी के प्रतियोगियों को धूल में मिला वे उसी तरह उत्साहित थे जैसे महाभारत में कौरवों को परास्त कर पांडव रहे होंगे। थोड़ा पैसा जरूर खर्च हो गया था पर वो तो हाथ का मैल है, छूट गया तो क्या हुआ, फिर लग जायेगा। लगाने का मौका भर आ जाये। यह उल्लास प्रकटीकरण उसी का अनुष्ठान था।
इस अवसर पर नेताजी ने संदेश दिया 'राजनीति करने का समय आ गया है'। उनके लोगों के लिए राजनीति का समय चुनाव के समय का पर्यायवाची था। यदि कोई बिना चुनावी गुणाभाग जोड़ बाकी के राजनीति में सेवा की बात करता तो वे उसकी ओर इस तरह देखते जैसे उत्पलदत्त कह रहे हों -उल्लू का पट्ठा।
भक्तों ने नेताजी के संदेश को उसी तरह ग्रहण किया जिस परिप्रेक्ष्य में वह दिया गया था। अर्थात राजनीति माने चुनाव की तैयारी। वैसे तो राजनीति की अर्न्तधारा पाँचों साल बहती है जैसे अपने लोगों को अच्छी जगह पर स्थानान्तरित कराने में ज्यादा पैसे न लगने देना। अपराध में न फंसने देना, फंस जाये पुलिस से सौदा करा देना, न माने तो जमानत करवाना आदि आदि। पर प्रत्यक्ष राजनीति की बात और है। प्रत्यक्ष राजनीति का अर्थ है कि पोलिंगबूथ अनुसार ठेकेदारों को ठोक बजा कर देख लेना कि कहीं उन्हें किसी और ने तो नहीं खरीद लिया है, उनकी मांग के अनुसार दारू और रूपयों की व्यवस्था हेतु उनसे मोल भाव करना, एडवांस देते समय पहले उन से गंगा मैया,या नर्मदा मैया, या जो भी मैया बहती हों उसके नाम की सौगंध दिलवाना कि वे नेताजी के बफादार रहेंगे, उन्हीं का दिया कुर्ता पहिनेंगे, पाजामा पहिनेंगे व उन्हीं का दिया नाड़ा बांधेंगे। उन्हीं की टोपी लगायेंगे, उन्हीं का बैनर, उन्हीं के झण्डे, तथा जीतेगा भई जीतेगा के नारे पर नेताजी के चुनावचिन्ह वाला जीतेगा- के नारे ही लगायेंगे। दीवारों पर नारे लिखना, नेताजी के हाथ जोड़े हुये वाले पोस्टर छपवाना तथा उन्हें दीवारों पर, दुकान के साइनबोर्डोंपर, ट्रैफिक वाले इन्डीकेशान बोर्डों, पर बस स्टापों, और मूत्रालयों में चिपकवाना, जीपें तय करना, उनके लिए डीजल का स्टाक करके रख लेना, बच्चों को बिल्ले बंटवाना, और सिखाना कि अपनी माँ से अपनी सौगंघ दिला कर नेताजी को वोट देने के लिए ही कहें। नकली वोटिंग मशीीन पर उंगली रखवा कर सिखाना कि फलाँ चुनाव चिन्ह के आगे वाले बटन को दबा कर लोकतंत्र के पावन यज्ञ में अपनी आहुति दें। यही अभ्यास महिलाओं, खासतौर पर युवा महिलाओं को करवाते समय उंगली को जोर से दबा देना और धीरे से मुस्करा देना भी उनके राजनीतिक कार्यों का हिस्सा हैं। लाठी वाले जमानत पर छूटे या बाइज्जत बरी लोगों को जीपों में भरकर भ्रमण हेतु बाध्करना भी राजनीतिक कार्य होता है।
उपरोक्त कार्यों के अलावा चुनाव क्षेत्र में फैले धार्मिक स्थलों के नाम से प्रचारित स्थानों पर मालपुआ उड़ा रहे बाबानुमा लोगों से आशीवाद प्राप्त करना और उनके नित्यकर्म का हिस्सा होते हुये भी यह प्रचारित करवाना कि उन्होंने यह आशीर्वाद चुनाव में जीतने के लिए दिया है। पण्डितों को चुनाव वाले दिन तक पाठ करने के नाम पर बुक कर लेना तथा जीतने पर दक्षिणा के अलावा इनाम भी दिलवाने का वादा करना, ज्योतिषियों को इस बात के लिए अनुबंधित करना कि वे नेताजी की विजय की भविष्यवाणी करें और उस अनुसार ही जन्मकुंडली बना कर अखवारों में छपवायें।
उपरोक्त सकारात्मक राजनीति के अलावा कुछ नकारात्मक राजनीति भी करना पड़ती है, जैसे विरोधी नेताओं की चरित्रहत्या के लिए उदारवादी महिलाओं को तैयार करना, अच्छे कहानीकारों से चरित्र हत्या की ऐसी रोचक कहानी तैयार कराना कि सुनने सुनाने में मजा आये और एक बार सुनने के बाद लोग दूसरों को सुनाने के लिए बेचैन दिखें। ठीक समय पर गाँव में उड़ा देना कि विरोधी दल के नेता तो बैठ गये हैं।हाई कमान को शिकायत भिजवा देना कि दूसरे गुट के नेता भितरघात कर रहे हैं इसलिए उन्हें पर्यवेक्षक बना कर चुनाव क्षेत्र से बाहर भेज दिया जाये। आदि आदि राजनीतिक कार्य करने का यह सही समय होता है।
वैसे कुछ ऐसे बाबा भी होते हैं जो तयशुदा योजना के अनुसार 'अचानक' मंच पर प्रकट होकर देशासेवा का आशीर्वाद देकर जनता में छवि ठीक करें। यदि ऐसे बाबा खाली न हों तोे नेताजी धमनिरपेक्ष भी हो लेते हेैं।
वीरेन्द्र जैन
2/1शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
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bayang kay madhyam say elecation honay bale satyata ko kusalta kay sath paysh karna sarahney Pryash hai
जवाब देंहटाएंPRADEEP KUSHWAHA