मंगलवार, अप्रैल 07, 2009

वरुण का गीता पाठ

व्यंग्य
वरूणगांधी और गीता पाठ की सलाह
वीरेन्द्र जैन
प्रियंकागांधी ने वरूण को गीता पढने की सलाह दी है। पता नहीं यह सलाह बड़ी बहिन के नाते दी है या विरोधी दल की नेता की तरह सलाह दी है। आजकल सलाह देने से पहले यह जरूरी नहीं कि सलाह आपकी आजमायी हुयी हो।
एक गा्मीण आदमी पड़ोस के गांव में रहने वाले अपने दोस्त के घर गया और उससे पूछा कि तुम्हारी भैंस जब बीमार हो गयी थी तब तुमने क्या किया था?
'मैंने उसे एक लीटर तारपीन का तेल पिला दिया था' मित्र ने बताया
सलाह लेकर वह ग्रामीण घर गया और उसने भी अपनी बीमार भैंस को तारपीन का तेल पिला दिया। शम तक उसकी भेंस तड़फ तड़फ कर मर गयी। वह भागा भागा फिर अपने मित्र के पास गया और पूरा हाल बताया तथा उसकी सलाह पर सवालिया निशान खड़ा किया।
' उससे क्या, भैंस तो मेरी भी मर गयी थी' मित्र ने शांतिपूर्वक बताया। 'तुमने पूछा था कि क्या किया था तो वह मैंने बता दिया था पर परिणाम के बारे में तो कोई बात ही नहीं हुयी थी।
कल के दिन वरूण चाहें तो कह सकते हैं कि उन्होंने न केवल गीता ही पढी है अपितु उस पर आचरण करते हुये ही वे अपना काम कर रहे हैं। अर्जुन की तरह उन्हें न पेड़ दिख रहा है न शाखें दिख रही हैं, न पत्तियां दिख रही हैं न चिड़िया दिख रही है केवल चिड़िया की आंख की तरह एक अदद कुर्सी दिख रही है। चुनावी युद्ध क्षेत्र में उन्हें न गांधी दिख रहे हैं और ना ही नेहरू दिख रहे हैं, न उन्हें अपनी दादी इंदिराजी दिख रही हैं जिन्होंने अपने हिस्से में आयी संजयगांधी की पूरी सम्पत्ति वरूण के नाम कर दी थी। वे सर्वधर्म परित्याज अडवाणी शरणम् जा चुके हैं। उनके भाई बंधु गुरू माता पिता सब कुछ आडवाणी हैं। कुर्सी वे ही दिलवा सकते हैं, उनके नाम में भी कृष्ण है। वे रथ हांकने के भी अभ्यस्त हेैं। वे पाकिस्तान जाकर जिन्ना का गुणगान भी कर सकते हैं और मेरे द्वारा कुछ भी कह देने पर भी मुझे दिया गया टिकिट सुरक्षित बनाये रखते हैं। मेरा टिकिट आत्मा की तरह अमर है जो न कट सकता है न फट सकता है न आग में जल सकता है और ना ही कोई चोर उसे चुरा सकता है भले ही भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय से ढाई करोड़ रूपये चारी चले जायें।
मैं कल्पना करता हूँ कि बड़ी बहिन की सलाह मान कर वरूण गीता पाठ करने के लिए बैठते हेेंै और बैठने से पहले अपनी पूज्य माताश्री से पूछते हैं कि मैं आदरणीया बड़ी बहिन के कहने पर गीता पाठ करने के लिए बैठ रहा हूँ, कृप्या मुझे आज्ञा दें और बतायें कि आपको कोई आपत्ति तो नहीं है!
'गीता में प्राणी हत्या के बारे में तो कुछ नहीं कहा गया है?' माताश्री पूछती हैं
' उसमें तो नाते रिशतेदार, बंधु बांधव, गुरू आदि किसी भी भावुकता से ऊपर उठ कर शत्रुसेना के साथ सामने आने वाले को मारने का संदेश है माताश्री' वरूण विनम्रता से कहते हैं।
' पर ये तो मनुष्य हैं, इनकी कोई बात नहीं, किसी पशु पक्षी को मारने की तो कोई बात तो नहीं है' मनेकाजी कहती हैं
'वह तो शायद नहीं है आगे पढने पर पता लगेगा, हाँ पर महाभारत में अशवत्थामा नामक हाथी के मरने की सूचना अवशय है' वरूण याद करते हुये कहते हैं।
' फिर केवल गीता पढना, महाभारत मत पढने लगना।
'जी माताश्री' वे हाथ जोड़ कमर से झुक कर कहते हैं।
वरूण गीता पढने चले जाते हैं और उनकी माताश्री चीता के बारे में किताबें पढने लगती हैं। बाहर तांगे पर लाउडस्पीकर बांधे सिनेमा वाला जनता की बेहद मांग पर नगर के सिनेमा हाल में फिल्म सीता और गीता लगे होने की घोषणा करता फिर रहा है।
वीरेन्द्र जैन
21 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629 4

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अति सुंदर लिखते रहिये .......
    आपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
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  2. उजाले को पी अपने को उर्जावान बना
    भटके लोगो को सही रास्ता दीखा
    उदास होकर तुझे जिंदगी को नही जीना
    खुला गगन सबके लिए है , कभी मायूश न होना
    तुम अच्छे हो, खुदा की इस बात को सदा याद रखना....
    .......शुभकामनायें.

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