मंगलवार, अप्रैल 28, 2009

वफादारी

व्यंग्य
वफादारी
वीरेन्द्र जैन

मैं एक बंगले के पास से गुजरा तो पाया कि अन्दर से गाने की आवाज आ रही थी। मुझे रूक जाना पड़ा। कोई गा रहा था-
यहाँ बदला वफा का बेबफाई के सिवा क्या है
मुहब्बत कर तो लें लेकिन मुहब्बत में भी धोखा है
मैं जैसे ही आगे बढने को हुआ तो दूसरा गाना चलने लगा-
वफा जिनसे की बेवफा हो गये
ये वादे मुहब्बत के क्या हो गये
मुझे ऐसा लगा कि किसी का दिल टूट गया है इसलिए उसके दिल की पुकार को थोड़ा धैर्य के साथ सुनना चाहिये इसलिए मैंने स्कूटर को स्टैंड पर लगाया और उसी पर दोनों टांगें एक तरफ कर बंगलामुखी होकर सुनने लगा। तभी तीसरा गाना चलने लगा-
सलामत रहे तू जफा करने वाले
वफा कर रहे हैं वफा करने वाले
मेरे अन्दर करूणा का सोता फूट पड़ा और मैं अपने पैरों को अन्दर जाने के लिए उतावले होने से नहीं रोक सका। बंगले के बाहर नेपाली बहादुर खड़ा था। मुझे हाल ही में किसी का कहा याद आ गया-
सुनो गौर से दुनिया वालो
चाहे जितना जोर लगा लो
चाहे तुम बंगले बनवा लो
उसमें चाहे लॉन बना लो
लॉन के बाहर गेट लगा लो
सबसे आगे होंगे हम नेपाली- जी शाबजी
मैंने जैसे ही अन्दर जाना चाहा तो उसने रोक दिया- किससे मिलना है शाबजी?
''जो इस बंगले में रहता है'' मैंने कहा
'' बड़ेशाब से, छोटेशाब से, या भैनजी से शाब?''
'' तुम सारे शाबों के नाम बताओ तब मैं बताऊॅंगा कि किससे मिलना है।''
'' नाम तो शाबजी मुझे नहीं पता हम तो बड़ेशाब छोटेशाब के नाम से ही जानते हेैं''
'' अच्छा ये गाना कौन गाता रहता है?''
'' वो तो बड़ाशाबजी गाता रहता है, जबसे दिल्ली से लौटे हैं तब से ऐसे ही गाते रहते हैं''
मैंने थोड़ा पीछे होकर नेमप्लेट देखने की कोशिश की जिस पर नाम धुंधला गया था पहले शब्द का पहला अक्षर 'अ' तो पढने में आ रहा था तथा दूसरा शब्द सिंह था। मैं रोज अखबार पढता हूँ इसलिए अंदाज लगा लिया जो सही ही होगा। फिर अन्दर जाने की हिम्मत नहीं हुयी तभी अन्दर से आवाज आने लगी-
वक्त करता जो वफा आप हमारे होते
हम भी गैरों की तरह आपको प्यारे होते
मैंने तुरंत ही स्कूटर पर किक मारी तभी अन्दर से नयी धुन छिड़ गयी थी-
वक्त ने किया क्या हँसी सितम
तुम रहे ना तुम हम रहे न हम
अब मुझसे नहीं रहा गया और मेरा हाथ जो एक्सीलेटर पर पड़ा तो फिर घर आकर ही रूका। रास्ते में देर हो जाने के कारण घर पर मेरी वफादारी पर सन्देह से घूरती निगाहें मेरी प्रतीक्षा कर रही थीं।

वीरेन्द्र जैन
21 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629

3 टिप्‍पणियां:

  1. हुज़ूर आपका भी ...एहतिराम करता चलूं ........
    इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

    ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
    अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
    -(बकौल मूल शायर)
    LO JI KAR DI AAPKI ICHCHHA PURI, aur bataayie.
    VAISE KABHI AAP MERE VYANGYA-KAKSHA MEn AAYIE. KABHI EK-DUSRE KI TO KABHI MILKAR TEESRE KI, VYAnGYA-KRIYA KAREnGE.

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